Roshan sharma

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भानगढ़ (मुहब्बत या श्राप-Part 3)

तीसरा अध्याय (भानगढ़ मे प्रवेश)
  

 बस अपने गंतव्य स्थान पर पहुँच चुकी थी.सब लोग बस से उतरने लगे थे. गीता और हर्ष भी अपना सामान बस से उतरने लगे.
ओ मैडम जी चलो, अपना स्टैंड आ गया अब आगे नहीं जाने वाली ये बस’ गीता ने अपना सामान उठाते हुए अनीता से कहा. 
“क्या यही तक जायेगी ये बस? लेकिन भानगढ़ तो अभी दूर है ना.”  अनीता ने खिड़की से बाहर कुछ खोजते हुए गीता से पूछा.
“हां जी ये यही तक जायेगी, आगे हमें ऑटो या किसी रिक्शा से चलना पड़ेगा, अब निचे उतर वरना वापस जयपुर पहुँच जायेगी इसी बस में.” गीता सामान लेके निचे की तरफ उतरते हुए अनीता से कहती है. 
अनीता बस से निचे उतर कर इधर उधर देखती है,
अब क्या तुझे यहाँ कोई लेने आ रहा है क्या, जो यहाँ वहाँ उसे ढूँढ़ रही है.चल सामान उठा, बाहर चलके कुछ मिलता है तो देखते है. हर्ष ने अनीता की मजाक उड़ाते हुए कहा.
मुझे भूख लग रही है यार, कुछ खाना है, प्लीस कुछ खिला दो, गीता ने पेट को पकड़ते हुए गीता को कहा.
वहां से बाहर जाकर उन्हें एक चाय कचौरी की दुकान नजर आती है, जहाँ मौसम वर्षा का होने के कारण भीड़ थोड़ी ज्यादा थी,वो लोग वहां बैठकर चाय और कचौरी का ऑर्डर देते है. 
जब तक चाय कचौरी आती है, तीनो आपस में कुछ बातें कर रहे होते है, कि तभी अनीता की नजर थोड़ी दूर खड़े एक युवक की तरफ जाती है. 
वो उनसे थोडा दुरी पर खड़ा था, लेकिन वो भीड़ से अलग एक दीवार के सहारे खड़ा था. 
अनीता ने एक बार के लिए अपनी जजर वहां से हटा कर वापस हर्ष और गीता से बात करने लगी.
थोड़ी देर बाद फिर से अनीता ने उसी तरफ देखा, वो शख्स अभी भी वही खड़ा था और इस बार वो अनीता की तरफ ही देख रहा था. 
अनीता को थोडा अजीब लगा, उसने वहां से अपनी नजर घुमा ली, लेकिन इस बार उससे रहा नहीं गया, उसने तुरंत उस तरफ देखा. वो शख्स अभी तक अनीता को ही निहार रहा था. मानो वो उससे कुछ कहना चाहता हो. लेकिन अनजान शहर में अनीता किसी को नहीं जानती इसलिए उसने उस तरफ ना जाने का सोचकर उस तरफ देखन ही बंद कर दिया. 
‘हर्ष यार मुझे प्यास लग रही है, थोडा पानी ले आना’ अनीता ने धीरे से हर्ष को कहा.
“लाता हूँ’’ हर्ष कहते हुए वहां से उठ गया.
जैसे ही हर्ष वहां से खड़ा होकर थोड़ी सी दूर जाता है, अनीता गीता को अपनी तरफ खींचते हुए “यार वो लड़का बहुत देर से मुझे घूर रहा है, पता नहीं कौन है” 
“कौन लड़का? तुझे कौनसा लड़का दिखा गया यहाँ” गीता ने अपनी नजरें अनीता के इर्द गिर्द घुमाते हुए पूछा.
“अरे यहाँ नहीं, वो उस तरफ दिवार के पास में खड़ा है ना देख”
“मुझे तो कोई नजर नहीं आ रहा है, पता नहीं तुझे कहा से दिखा गया यहाँ लड़का” 
पानी की बोतल अनीता को देते हुए हर्ष ने अनीता से “अब चलो यहाँ से वरना देर हो जायेगी, पता है ना हमको वापस भी जाना है, और जिस कम के लिए आये है वो तो अभी तक पूरा भी नहीं हुआ है ऊपर से ये मौसम भी ख़राब हो रहा है, जल्दी करो दोपहर हो चुकी है, अभी वहां भी हमें काफी समय लग सकता है.”

भानगढ़ (मुहब्बत या श्राप-Part 3)

“हाँ ठीक है चलो, लेकिन चलेंगे कैसे वहाँ? वो तो पता करो” गीता ने हर्ष से पूछा. 
“मैंने वहां एक ऑटो वाले से बात की है वो हमें किले तक पहुँचा देंगा, चलो अब.” हर्ष ने सामान को उठाते हुए गीता से कहा.
तीनो अपना सामान उठा कर वहां से रवाना होने वाले होते है कि अनीता की नजर फिर से उस दीवार की तरफ पड़ती है, लेकिन इस बार वहां कोई नहीं होता, अनीता ये देख कर कुछ सोच में पद जाती है, 
“अब क्या हुआ अनीता चलना,” गीता आगे की तरफ बढ़ते हुए अनीता से कहा.
तीनों वहां से ऑटो में बैठकर भानगढ़ के लिए रवाना हो जाते है,
“भैया यहाँ से कितनी दूर है वो जगह जहाँ हम लोग चल रहे है,” हर्ष ने ऑटो ड्राईवर से पूछा.
वैसे तो भानगढ़ अलवर से लगभग 90 किमी है, लेकिन यहाँ से केवल 5 किमी ही है, ज्यादा दूर नहीं पड़ेगा, आप चिंता मत कीजिये, आपको जल्दी ही वहां पहुंचा दूंगा, ऑटो ड्राईवर ने ऑटो स्टार्ट करते हुए हर्ष से कहा.
“भैया जी क्या सच में वहां भूत है क्या?” अनीता ने पूछा
“मैंने तो कभी वहां जाके ऐसा कुछ देखा नहीं लेकिन लोग कहते है कि रात को वहां आत्माएं घुमती है, इसलिए वहां रात को किसी को नहीं रुकने देते है, सब ये ही कहते है.”
“यार तू ना ये भूतों की बातें पूछ पूछ कर न मुझे डरा मत, पहले ही तुझे ये ही जगह मिली थी घूमने को, ऊपर से वहां पहुँचने से पहले ही डरा ओर रही है, बैठ जा चुपचाप से तू साइड में” गीता ने अनीता से सहमी सी आवाज में कहा.
  अरे यार क्या तू भी ऐसे डर रही है, कौनसा वो भूत लोग तुझे ही पकड़ लेंगे, इतने लोग जाते है वहां घुमने, उनको तो डर नहीं लगता, तू फ़ालतू ही डर रही है,और वैसे भी ये सब बातें बोलने की होती है, कोई भूत नहीं होता, ठीक है ना, अनीता ने गीता को जबाब देते हुए कहा.
अनीता अभी भी उस लड़के के बारे में सोचते हुए खिड़की से बाहर ही देख रही थी, कि कभी अचानक से बारिश शुरू हो गई. 
अरे यार अब ये क्या हुआ.... अब हम कैसे पहुचेंगे वहां समय पर ? हर्ष ने अपना मूंह उतारते हुए सब से कहा. 
अरे साहब जी चिंता मत करो, ये तो अभी बस कुछ देर में रुक जाएगी, चिंता मत कीजिये, आप लोग आराम से बैठो, में आपको टाइम पर पंहुचा दूंगा. 
धीरे धीरे दिन भी श्याम की और मानो दौड़ा चला जा रहा था. लगभग 2 बजने वाले थे. अब सूरज मानो धरती से लुका-छिप्पी खेलने को आतुर हो रहा हो, एक पल में धुप तो एक पल में सूरज की किरण धरती को छू रही हो. 
अब उनका सफ़र लगभग अपने मुकाम तक पहुँच चूका था. जिस जगह का उन्हें इन्तजार था, शायद वो स्थान अब उनकी आँखों के सामने था, 
गीता और अनीता ऑटो से बाहर निकलते ही... यार ये सच में क्या ऐसा ही है, यार आज ही हमें इतना डरावना दिख रहा है. गीता ने अनीता से उस महल की तरफ देखते हुए पूछा?
यार अब तो मुझे भी थोडा डर लग रहा है इसे देखते हुए. हम यहाँ से जल्दी ही निकल चलते है, यहाँ से घूम कर,, अनीता कहते हुए गीता की तरफ देखती है. 
   अब वो लोग वहां से महल की तरफ रवाना हो जाते है, जैसे ही वो महल के दरवाजे के पास पहुचते है, वहाँ लिखी एक चेतावनी को पढने के लिए रुक जाते है,

भानगढ़ (मुहब्बत या श्राप-Part 3)

उसपर लिखा था ‘इस महल में सूरज अस्त होने के पश्चात यहाँ रुकना माना है, कृपया समय पर यहाँ से बहार निकल जाए.यहाँ किसी भी अनहोनी घटना का होना स्वाभिक है,’

ये लिखा हुआ पढ़कर अनीता ने डरी हुई आवाज में गीता से पूछा “क्या हम अन्दर चले? यार कुछ हो गया तो क्या करेंगे, मुझे डर लग रहा है अब, चलो यार वापस चलते है.”

अरे यार अब इतनी दूर आकर वापस चलेंगे, तू भी क्या मजे ले रही है यार, और वैसे भी यहाँ रात को रुकने को माना किया गया है, दिन में नहीं. समझी ना. और अभी शाम होने में 3 घंटे बाकी है. तो हम जल्दी से वहाँ जाकर वापस आ जायेंगे.

“और क्या बार बार इतनी दूर आने का मौका थोडे मिलेगा,” हर्ष ने गीता की बात में अपनी बात को जोड़ते हुए कहां.

  “ठीक है यार अब तुम लोग कह रहे हो तो चलते है, लेकिन यार ज्यादा लेट नहीं करेंगे, मुझे वैसे भी इन सब से दर लगता है,” अनीता ने हर्ष की तरफ देखते हुए कहा.

“यार इतना ही डर था तो हमें लेके ही क्यूँ आई है, वहां तो बड़ा बहादुर बन रही थी, और यहाँ गेट के बाहर से ही इतना डर लग रहा है तुझे, क्या यार”, गीता ने अनीता की बात को काटते हुए कहा |

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6 Comments

Author Pawan saxena

17-Mar-2021 06:48 PM

Best story sir 🙏

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Roshan sharma

18-Mar-2021 09:34 PM

Thnx

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علما

17-Mar-2021 09:24 AM

Good story sir .

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Roshan sharma

17-Mar-2021 10:48 AM

Thnk u ma'am

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Abhishek sharma

16-Mar-2021 08:46 PM

story best hai sir ...

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Roshan sharma

16-Mar-2021 11:16 PM

Thnx

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